ख़बर जो आयी है तेरे आने की
जान बन गई है ज़माने की
हम तो फूट-फूटकर रोने लगे
जब कोशिश की ख़ुद को हँसाने की
तुम्हें देख सब कुछ कह गए हम
बस एक भूल गए बात बताने की
अभी बज़्मे-उल्फ़त में बैठे ही थे
कि घड़ी आ गई शमा बुझाने की
दुनिया से दूर आकर अब कोशिश करेंगे
ख़ुद से भी किसी रोज़ दूर जाने की
चराग़े-उम्मीद तो न बुझ सका दोस्त!
दुनिया ने कोशिश बहुत की बुझाने की
No comments:
Post a Comment