Saturday, May 27, 2023

तुम हक़ीक़त नहीं हो हसरत हो

तुम हक़ीक़त नहीं हो हसरत हो, 

जो मिले ख़्वाब में वो दौलत हो


मैं तुम्हारे ही दम से ज़िंदा हूँ 
मर ही जाऊँ जो तुम से फ़ुर्सत हो 

तुम हो ख़ुशबू के ख़्वाब की ख़ुशबू 
और उतनी ही बे-मुरव्वत हो 

तुम हो पहलू में पर क़रार नहीं 
या'नी ऐसा है जैसे फ़ुर्क़त हो 

तुम हो अंगड़ाई रंग-ओ-निकहत की 
कैसे अंगड़ाई से शिकायत हो 

किस तरह छोड़ दूँ तुम्हें जानाँ 
तुम मिरी ज़िंदगी की आदत हो 

किस लिए देखती हो आईना 
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूब-सूरत हो 

दास्ताँ ख़त्म होने वाली है 
तुम मिरी आख़री मोहब्बत हो  


Jaun Elia

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