आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
चलना है सबको छोड़ यहाँ
अपने सुख - दुख का भार प्रिये
करना है कर लो आज उसे
कल पर किसका अधिकार प्रिये
भगवती चरण वर्
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