सीख गया मैं गलती से अपने अभी कितना सजा बाकी है
अब तो लौट आओ फिर से इतना इंतजार काफी है
रुक जाएंगी सांसे एक दिन फिर हमें दोष ना देना
हम हर दिन है तेरे इंतजार में कहीं मतलबी मत कह देना
भले ही महफिल में आते हैं जिक्र बस तुम्हारा होता है
शायरी जो भी हम करते हैं वो प्यार तुम्हारा होता है ।
हम नहीं चल पाएंगे तुम बिन अब कितना हमे सताओगी
दुनिया अधूरी सी लगती है अभी कितना हमे रुलाओगी ।
कुसूर तो मेरा ही है सब जो तुम्हें जाने के लिए कहा ।
गलत वक्त में हमने जो ये गलत फैसला लिया ।
जो गया उसे अब भूल कर हम नई शुरुआत करते हैं
हर वक्त में साथ चलकर जीवन में कुछ बड़ा करते हैं ।
लिखता हूं जो हर दिन ये बस तुम्हारे लिए
महफिल में भी आता हूं तो सिर्फ तुम्हारे लिए ।
अब हमें इंतजार है तुम्हारे लौटने का
कई रात हम जागें है वक्त है बस तुमसे मिलने का ।
हमें इस बार भी यूं ही निराश मत करना
ये रातें भी सवाल करती हैं इन्हें इस बार जवाब देना ? ।
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