Wednesday, May 31, 2023

जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये

दिल का ख़्याल तो किया करें

हर लकीरें मुकद्दर बदला करती 

कितने दर्द से गुज़रता हूँ हर रोज़ 
याद नहीं आख़िरी आहा भी अब 

मैं तो उस ज़ख़्म ही को भूल गया 
दर्द क्या था उसी को भूल गया 

सब दाव पे रख कर हार गया हूँ 
अब अपना रिश्ता कैसे रखूं ज़िंदा 

जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये 
बेहतर ये है कि ग़म को ही भुला दें

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