गुजरा हुआ फकीर बताया गया मुझे
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे।
सबका यही सबाल था के हँसता क्यों नहीं
जब हँसने लग गया तो रुलाया गया मुझे।
पहले दिखाई सबने गुलाबों की सेज फिर
काँटो के बिस्तरो पे सुलाया गया मुझे।
हां इश्क़ का मुझे भी बड़ा शौक था मगर
ये बिन दवा का रोग बताया गया मुझे।
जब शक हुआ उन्हें तो मिरी कब्र खोदकर
नश्तर चला चला के दिखाया गया मुझे।
पहले तो मुस्कुराए बो ख़ंजर लिए हुए
फिर बाद में गले से लगाया गया मुझे।
गैरों को देखती थी मिरा नाम लेके वो
जिस आंख का सितारा बताया गया मुझे।
जहराब से भरा हुआ पैमाना जाम का
हाथों से मुस्कुरा के पिलाया गया मुझे।
पहले कहा गया कि यहीं बैठ जा
मैं बैठने चला तो भगाया गया मुझे।
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