Monday, May 22, 2023

तू मेरे इश्क की इबारत है

बात मुद्दत से जो थी आंखों में

आज लबों पे उतर आई है

तू मेरे इश्क की इबारत है
तू इसे पढ़ न पाई है

रात रो रो कर हमने काटी है
दुःख में कोई अब न साथी है

चांद आज रात भर रोया है
ओस की बूंदों ने गवाही दी है

सजल नैनों और बंद होंठों से 
किसी गीत की आवाजाही है

जिसके पीड़ा के स्वर को सुन 
सुबह-सुबह गुलाब मुस्कराया है।

दर्द का स्वर सीप में पड़कर 
मोती बनकर खिलखिलाया है। 

बात मुद्दत से जो थी आंखों में
आज लबों पे उतर आई है

तू मेरे इश्क की इबारत है
तू इसे पढ़ न पाई है।

No comments: