Monday, May 22, 2023

अभी तो चंद लफ़्ज़ों में समेटा है तुझे

अभी तो चंद लफ़्ज़ों में समेटा  है तुझे ,

अभी तो मेरी किताबों में  तेरा सफर बाकी है.

 

वो आये थे अपनी वफाओं का हिसाब करने,

किताब-ऐ-इश्क़ जो खोली कर्ज़दार होकर चले गए.

 

रूह का चेहरा किताबी होगा,

जिस्म का रंग उन्नाबी* होगा.

शरबती रंग से लिखो आँखें,

और एहसास शराबी होगा.

(*उन्नाब के दाने की रंगत का)

 

तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे,

मेरी तन्हाई में ख्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं.

मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें,

मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं.

-जॉन आलिया

 

धुप में निकलोघटाओं में नहा के देखो,

जिंदगी क्या है किताबों को हटा के देखो.

 

अब किसकी सुनें और किसको पढ़ें,

किताबों ने कुछ और पढ़ाया,

जिंदगी ने कुछ और सिखाया.

 

ये इल्म का सौदाये रिसाले*ये किताबें,

एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है.

*a small book in the form of a treatise on socio-economic, political or historical टॉपिक्स

 

जो लिखा जो पढ़ा

कभी काम नहीं आया,

सारा भ्रम किताबों का बस किताबी रह गया,

खूबसरत था सपना मेरा पर,

न जाने क्यों ख्वाबी रह गया.

 

कितनी तारीफ करू मैं उस जालिमा के हुस्न की,

पूरी किताब तो बस उसके आँखों में ख़तम हो जाती है.

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