Monday, May 22, 2023

क्या बताऊं कौन हो तुम?

क्या बताऊं कौन हो तुम?

मैं प्यासा हूं कई जन्मों का 
नदियों का मीठा नीर हो तुम 
अधीर खड़ा किनारे पे, आस लिए 
तुम उम्मीद मेरी, मेरा धीर हो तुम 

मैं तमस से व्याकुल राहगीर हूं 
ठंडी हवा की एक लहर हो तुम 
मैं दिनभर का थका कामगार हूं 
सुस्त रातों का पहला पहर हो तुम 

नासमझ, बड़बोला बातूनी-सा हूं 
सुलझी हुई, शांत खामोशी हो तुम 
मैं बदनाम आवारा गलियों का 
मेरी अच्छी - बुरी सरगोशी हो तुम 

मधुशाला से कोसों दूर घर मेरा 
जाम में ना हो, वो मयकशी हो तुम 
मैं बेचैन जागी रातों का होश हूं 
सुकून से भरी मदहोशी हो तुम... 

मेरे हर्फों की पुकार, मेरा मौन हो तुम 
सब कुछ तो तुम्ही हो, क्या बताऊं? 
कौन हो तुम....

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