आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जिंदगी से जैसे
ख़फ़ा हो गये हैं ख़बर है हमें हम जुदा हो गये हैं क़िस्मत में जिनसे मिलना नहीं है लबों की वही अब दुआ हो गये हैं ।
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