Friday, January 20, 2023

ये जो ज़िंदगी की किताब है

ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है 
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है 

कहीं छाँव है कहीं धूप है कहीं और ही कोई रूप है 
कई चेहरे इस में छुपे हुए इक अजीब सी ये नक़ाब है 

कहीं खो दिया कहीं पा लिया कहीं रो लिया कहीं गा लिया 
कहीं छीन लेती है हर ख़ुशी कहीं मेहरबाँ बे-हिसाब है 

कहीं आँसुओं की है दास्ताँ कहीं मुस्कुराहटों का बयाँ 
कहीं बरकतों की हैं बारिशें कहीं तिश्नगी बे-हिसाब है
-राजेश रेड्डी

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