Tuesday, January 17, 2023

मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिशों पर भारी है

अगर झुक गया होता तो आसमां मेरा होता
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिशों पर भारी है । 

अपने गीतों और गजलों से मन बहला लेता हूं 
जमाने की ठोकरों ने मुझें बेहिसाब लफ्ज दिये । 

 लाजमी कहॉ सारा जहाँ खुशमिजाज हो 
कुछ ख्वाहिशों का मर जाना बेहतर होता है । 

 मैं टूट कर बिखर जाऊं ऐ मेरी मंजिल 
जरा आके संभाल ले कहीं दर बदर ना हो जाऊं ।

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