अगर झुक गया होता तो आसमां मेरा होता
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिशों पर भारी है ।
अपने गीतों और गजलों से मन बहला लेता हूं
जमाने की ठोकरों ने मुझें बेहिसाब लफ्ज दिये ।
लाजमी कहॉ सारा जहाँ खुशमिजाज हो
कुछ ख्वाहिशों का मर जाना बेहतर होता है ।
मैं टूट कर बिखर जाऊं ऐ मेरी मंजिल
जरा आके संभाल ले कहीं दर बदर ना हो जाऊं ।
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