Tuesday, January 17, 2023

आओ चाँद पहलू में बैठो जरा

आओ चाँद पहलू में बैठो जरा


खुले गेसुओ में न उलझो जरा 

ज़माने से बचना भी मुश्किल हुआ 
हया आ रही बात समझो ज़रा 
सिवा तेरे हम अब कहाँ जाएंगे 
धड़कन में बसते हो समझो ज़रा 

आओ चांद पहलू में बैठो ज़रा 
खुले गेसुओं में न उलझो ज़रा 

निज़ाम पूछे तो क्या बताएंगे हम 
दिल पे काबू रखना समझो ज़रा 
जिस तरेह बेधड़क तुम चले आते हो 
इसमें रुसवाई है मेरी समझो ज़रा 

आओ चांद पहलू में बैठो ज़रा 
खुले गेसुओं में न उलझो ज़रा 

तुम लहरों की चिलमन में बैठे हुए 
समन्दर की धड़कन सुन लो ज़रा 
ये मौसम घटाएँ ये रुत की बलाएँ 
मुझे छेड़ती हाथ पकड़ो ज़रा 

आओ चांद पहलू में बैठो ज़रा 
खुले गेसुओं में न उलझो ज़रा 

जवां हैं सितारे शिक़ायत करेंगे 
अलविदा सुबहा होने को समझो ज़रा 
पिघलते क़दम के निशां छोड़ दो 
रहनुमा मेरी उल्फ़त समझो ज़रा 

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