इश्क़ के उपवन में,
लगा लिया सीने से उसे.
चाहत लिए रूबरू की,
फिरता रहा उपवन में.
ख्वाबों की तल्ख़ियां लिए,
रूबरू के उल्फत में,
सहता रहा सर्द मौसम को.
इश्क़ के सफ़र में,
नयनों में अश्क लिए,
इश्क़ के उपवन में,
गाता रहा इश्क़ के नगमे.
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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