मैनें पूरे हक से आपना माना तुझे
क्या था मेरे दिल सब पता था तुझे
फिर क्यों नहीं आपना माना मुझे
मैं बहता चला गया तेरे प्यार में इस कदर
बह जाए पानी में लाश जिस कदर
मेरी चाहतों का खिलवाड़ तूने किया
मेरे प्यार की लाश के टुकड़े बिखर गये इधर उधर
यह तेरी चाहत ही थी जो जिंदा था मैं
अब जिंदा होकर भी मर सा गया हूँ मैं
इस तरह से जग हँसाई की तूने मेरी
सब पागल पागल कहते हैं अब जाऊं मैं जिधर
मैनें पूरे हक से आपना माना तुझे
क्या था मेरे दिल सब पता था तुझे |
No comments:
Post a Comment