Sunday, January 15, 2023

ये उदासी मेरे मन से जाती क्यों नहीं

ये उदासी मेरे मन से जाती क्यों नहीं 
किरन कोई उम्मीद की नज़र आती क्यों नहीं 

अभी तो पार करने हैं कितने ही दरिया 
ये नौका मेरी रफ्तार पाती क्यों नहीं 

निकले थे अनजाने सफर पे घर से हम 
ये राहें भी मुझे मंजिल पे लाती क्यों नहीं 

जाने कब छटेंगे ये दुखों के बादल भी 
बरसात मेरे घर खुशी की आती क्यों नहीं 

मकां में दीये ही दीये हैं चारों ओर 
हो रोशन घर मगर तेल बाती क्यों नहीं 

जाना चाहता हूं तेरे करीब जिंदगी मैं 
मगर तू भी अपना पता बताती क्यों नहीं 

मैं तो तेरा अपना हूं कोई गैर तो नहीं 
ऐ जिंदगी तू भी करीब आती क्यों नहीं 

मेरी आँखों में ठहरा है सैलाब-ए-अश्क 
लगाकर गले जिंदगी तू रुलाती क्यों नहीं 

कहीं गम में ही डूबकर ना मर जाऊं मैं 
अरे जिंदगी तू थोड़ा हंसाती क्यों नहीं 

सवाल ही सवाल हैं सूखे लब पे मेरे 
पर जवाब एक भी जिंदगी बताती क्यों नहीं 

गम ही गम हैं इस फानी दुनिया में सागर 
ये जिंदगी भी खुशी के गीत गाती क्यों नहीं 

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