ये उदासी मेरे मन से जाती क्यों नहीं
किरन कोई उम्मीद की नज़र आती क्यों नहीं
अभी तो पार करने हैं कितने ही दरिया
ये नौका मेरी रफ्तार पाती क्यों नहीं
निकले थे अनजाने सफर पे घर से हम
ये राहें भी मुझे मंजिल पे लाती क्यों नहीं
जाने कब छटेंगे ये दुखों के बादल भी
बरसात मेरे घर खुशी की आती क्यों नहीं
मकां में दीये ही दीये हैं चारों ओर
हो रोशन घर मगर तेल बाती क्यों नहीं
जाना चाहता हूं तेरे करीब जिंदगी मैं
मगर तू भी अपना पता बताती क्यों नहीं
मैं तो तेरा अपना हूं कोई गैर तो नहीं
ऐ जिंदगी तू भी करीब आती क्यों नहीं
मेरी आँखों में ठहरा है सैलाब-ए-अश्क
लगाकर गले जिंदगी तू रुलाती क्यों नहीं
कहीं गम में ही डूबकर ना मर जाऊं मैं
अरे जिंदगी तू थोड़ा हंसाती क्यों नहीं
सवाल ही सवाल हैं सूखे लब पे मेरे
पर जवाब एक भी जिंदगी बताती क्यों नहीं
गम ही गम हैं इस फानी दुनिया में सागर
ये जिंदगी भी खुशी के गीत गाती क्यों नहीं
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