न भूला हूँ मैं वो तेरी यादें
तुझे पाने के लिए जो रब से की थी
न भूला हूँ मैं वो फरियादें
भीगी भीगी सी फिजा में
शहर की गलियों में तुझसे मिलना
इक वो समां न भूल पाया हूँ मैं
न भूला हूँ मैं वो बरसातें
तेरी गली के नुक्कड़ पर बैठ कर
तेरी इक झलक पाने को बेताब रहना
इक वो दिन न भूल पाया हूँ मैं
न भूला हूँ मैं वो गलियारे
घर से बहाने बना कर तेरा निकलना
चांदनी रातों में आकर मुझसे मिलना
इक वो वक्त न भूल पाया हूँ मैं
न भूला हूँ मैं वो मुलाकातें
इक तेरे शहर को न भूल पाया हूँ मैं
न भूला हूँ मैं वो तेरी यादें |
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