Monday, January 9, 2023

तेरी नज़रों ने छूआ तो हम महकने लगे हैं

तेरी नज़रों ने छूआ तो हम महकने लगे हैं
मिले बिना ही तूझसे हम तो मिलने लगे है 

पत्थर में तो फूल का खिलना नामूमकिन है 
मगर पत्थरों में फूल देखो खिलने लगे हैं। 

क्या हूआ इश्क़ में तूमसे मुलाक़ात एक दफा 
लोग चरित्र को भी ग़लत मेरे कहने लगे हैं। 

इश्क़ में खूदा है ये सूना तो था हमने बहुत 
इस हकीकत से रूबरू अब तो होने लगे हैं 

जब से हूआ है मूझे दिदार उसकी सूरत का 
उसकी झलक के खातिर हम तरसने लगे हैं।

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