Monday, January 30, 2023

नया मंज़र है या नज़र है जुदा।

पाँव के नीचे रहगुज़र है जुदा, 
कारवाँ और हमसफ़र है जुदा। 

पाँव ले जा रहे सू-ए-मंज़िल, 
ख़याल में मगर सफ़र है जुदा। 

हमारे सामने दरपेश है जो, 
नया मंज़र है या नज़र है जुदा। 

ठोकरों का नहीं डर रहता है, 
रेंग कर चलने का हुनर है जुदा। 

पाँव को दे रहे रफ़्तार नई, 
आबलों का दिखा असर है जुदा। 

कोई रुकता नहीं किसी के लिए, 
मिज़ाज़ है जुदा जिगर है जुदा। 

गिला किसी को नहीं है 'गौतम', 
ये नया दौर है बशर है जुदा। 




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