तुम तान बनो मैं गीत बनूं, सुर संगम से संगीत बनू,
संघर्षों में मैं जीत बनूं , प्रियतम तेरा मनमीत बनूं।
इन आंखों की अभिलाषा में , उत्कंठों की परिभाषा में ,
जीवन की वृहद निराशा में , निजवाणी की मृदुभाषा में,
तुम सुरमय गुंजित ताल बनो, गिरि सम गौरव भाल बनो,
लघुता में क्षुद्र प्रपंचों की, तुम मेरा हृदय विशाल बनो।
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