उसे देखा तो ऐसा लगा
मानो मुझे नई मंजिल मिल गई
नजर जब नजर से मिली तो
दिल पर कोई छोरी सी चल गई
उस की गलियों में रोज आना जाना होने लगा
उसे देख कर मैं सब कुछ भूल कर मैं उसमें खोने लगा
मानो एक उम्मीद जगी थी
मुझे वह अपनी दुनिया लगी थी
सोचा उसे की दिल की बात बता दूं
पर कैसे कहूं समझ नहीं आ रहा था
कहीं वह मुझसे रूठ ना जाए यह डर सता रहा था
पर दिल ने कहा कि तू जरा सी हिम्मत कर
उसको अपनी बात बताने की जुर्रत कर
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