दिल करता है कभी कभी सहारा ढूँढ लूँ
तेरी गली से दूर कोई गुजारा ढूँढ लूँ,
हो नाम जिस्म का ,बदनामियां हजारों हों,
पर कोई तुम सा अवारा ढूँढ़ लूँ,
तेरी गली से दूर कोई गुजारा ढूँढ लूँ
प्रायश्चित कर लूँ हृदय के बैराग के तडाग में,
और कुदरत का नया नजारा ढूँढ लूँ,
तेरी गली से दूर कोई गुजारा ढूँढ़ लूँ,
बन मुसाफ़िर दूर हो जाऊं तेरी गली से
पार कर लूँ इस गली को वो इशारा ढूँढ लूँ,
तेरी गली से दूर कोई सहारा ढूँढ लूँ |
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