इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में,
तुमको लग जाएंगी सदियां इसे भुलाने में,
न तो पीने का सलीका, न पिलाने का शूर,
अब तो ऐसे लोग चले आते हैं मैखाने में!
~नीरज
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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