चमक सूरज की नहीं, मेरे किरदार की है,
खबर ये आसमान के अखबार की है!
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले,
बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है!!
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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