आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कई शेर छुपे है उसकी आँखों में, मैं ढूंढकर कागज़ो को थमा देता हूँ।
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