आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मायने ज़िन्दगी के बदल गए, कई अपने मेरे बदल गए! करते थे बात आँधियों में साथ देने की, हवा चली और सब मुक़र गए!
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