Wednesday, March 20, 2019

होली, Holi

आईना गिर गया फिर भी टूटा नही,
प्यार है बुलबुला फिर भी फूटा नहीं!
मुद्दतों पहले मैंने रंगा था उसे,
आज तक रंग हाथों से छूटा नही!

आ मिटा दें दिलों पे जो स्याही आ गई है,
तेरी होली मैं मनाऊं, मेरी ईद तू मना ले!

मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के,
हम से तुम कुछ माँगने आओ बहाने फाग के!

हर इक रांझे को मिल जाये जो उसकी हीर होली में,
चटख़ रंगों में घुल जाये तो दिल की पीर होली में ,
हमारे दिल की दिल्ली में जो राजस्थान पसरा है,
उसे छूकर लबों से तुम करो कश्मीर होली में!

करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है,
तरसती जिसके हों दीदार तक को आपकी आंखें उसे,
छूने का आये क्षण, समझ लेना कि होली है,
बुलाये जब तुझे वो गीत गा कर ताल पर ढफ की,
जिसे माना किये दुश्मन, समझ लेना कि होली है!

 

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