आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए, धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए! ~मिर्ज़ा ग़ालिब
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