आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बस एक झिझक है हाल-ए-दिल सुनाने में, कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में !!
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