तू भले रत्ती भर न सुनती हो,
मैं तेरा नाम बुदबुदाता हूँ.
किसी लम्बे सफर की रातों में,
तुझे अलाव सा जलाता हूँ.
तू किसी रेल सी गुजरती है,
मैं किसी पल सा थरथराता हूँ!
- दुष्यंत कुमार की रचना पर आधृत
मैं तेरा नाम बुदबुदाता हूँ.
किसी लम्बे सफर की रातों में,
तुझे अलाव सा जलाता हूँ.
तू किसी रेल सी गुजरती है,
मैं किसी पल सा थरथराता हूँ!
- दुष्यंत कुमार की रचना पर आधृत
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