Saturday, November 21, 2020

वाणी तू लाजवाब है

वाह रे वाणी तू लाजवाब है।
शब्दों और स्वरों का मोहताज।।
तेरे इस शब्द में कोमलता और मधुरता
का वास है
तू जो चाहे तो गिरे को उठा ले
और उसे चलना सिखा दे।
न चाहे तो उठे को गिरा दे।।
वाणी जब निकले स्वर बन कर।
तो विश्व स्वर मय हो जाएं।।
वाणी जब निकले भाषा बन के
तब तू साहित्य व कविता में
मोती बन गुंथ जाते हो
कवियों की लेखनी से गीत बन
स्वरों में ढल जाती हो
वाणी तुम ही ओम् शब्द बन
ब्रम्हांड में गुंजन करती हो
सचमुच वाणी तू लाजवाब है
स्वरों और शब्दों का मोहताज है
वाह रे वाणी तू लाजवाब है

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