आप अहदे वफ़ा नहीं करते।
गर ज़रूरी थे ज़िन्दगी के लिए,
आप खुद से जुदा नहीं करते।
मेरा होना अज़ीज़ है शायद,
आप इतनी दुआ नहीं करते।
फैसला छोड़ते मुकद्दर पे,
आप रस्मे अदा नहीं करते।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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