पलटकर फिर चले जाना
कोई खता हुई मुझसे
इशारा इस ओर करता था,
कभी चुप मैं भी होता था
कभी खामोश तुम भी होती थीं
ये नींद के झोंके हमें
बदनाम करते थे,
बुलाकर पास तुमने जब
आगोश में लिया मुझे अपने
दो मीठे प्यार के बोलों ने
हम दोनों को सुला डाला,
अपनी नींद का आलम
ना पूछिए हमसे
चुम्बन प्यार का लेने से पहले ही
रूठकर तुम चले गए,
बजाकर दिल के तारों को
पुकारा किया बहुदा
हुनर नींद से जगाने का
अभी तलक सीख नहीं पाया।
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