मेरे चमन की हवा कब तक जहर होगी॥
मजलूमों की, गरीबों की, सुनी जाए सदा।
ऐसी सुनवाई ख़ुदा जाने किस पहर होगी॥
काटें बीज कर, उम्मीद ख़ुशी की जगाना।
ऐसी साजिश खुद के लिए ही कहर होगी॥
जिंदा हो गर खुदी से, जग से, सवाल करो।
हर गली हर घर इंकलाब की लहर होगी॥
देखो रिवाज बना "मनी" मतलब, फरेब का।
उम्मीद नहीं, दिलों में इश्क की बह्र होगी॥
- मनिंदर सिंह "मनी"
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