कैसे तुमको जाने दूं मैं
अभी तो बातें शुरू हुई हैं
कैसे तुमको जाने दूं मैं।
पहली बार तुम्हे देखा था
सावन के सुहाने मौसम में
रिमझिम बारिश थी उस दिन
कैसे तुमको जाने दूं मैं।
कुछ बात अलग थी तुममें प्रिय
जब तुम मुसकाया करती थी
मन ही मन में चाहा तुमको
कैसे तुमको जाने दूं मैं।
वक्त का पहिया बढ़ते बढ़ते
इस मोड़ पर आकर ठहरा है
तुम हो मैं हूं हम हैं दोनों
कैसे तुमको जाने दूं मैं।
पहली बार मुझे जीवन में
साथ तुम्हारा मिला है मुझको
हाथों में हाथ आया है जबसे
कैसे तुमको जाने दूं मैं।
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