न जाने कितनी कितनी बार।
कि आया है कोई जिंदगी में मेरी,
ले कर खुशियों की भरमार।
अचानक फिर आया कोई, एक
सुन्दर सा, अनदेखा अनजाना।
लगा मुझे, है वो कोई जाना पहचाना।
न जाने वो क्यों मेरे मन को है भा गया।
उसका दिल भी मुझे देख मुस्करा गया।
एक दूजे को पसंद कर, भर ली हमने हामी।
जैसे एक दूजे के दिल की धड़कनों
की आवाज़ है हमने जानी।
सबके आशीर्वाद से मेरी सगाई का
वो शुभ दिन है आने वाला।
सुन्दर सा वो ख्वाब मेरा अब
सच हो जाने वाला है।
वो दूल्हा बन रिति रिवाज से
मुझे लेने मेरे घर आने वाला है।
अग्नि के सात फेरौं ओर सात वचनों संग
अपना भी बन्धन पवित्र बंध जायेगा।
कल सब मिलकर हंसी-खुशी
गीत मधुर मिलन के गायेंगे।
पर डोली पर मेरी, मम्मी पापा,
भाई बहन और सखियों संग
सबकी अखियों में अंश्रू भर आयेंगे।
बड़े पापा ओर बड़ी मम्मा के आशीर्वाद
से फिर होगी मेरी विदाई।
खुशी-खुशी तारों की छाँव में,
फिर मेरी डोली भी पिया घर जायेगी।
ओर चावल उछाल बिन पलटे मेहदी
लगे कदमों से में भी विदा हो जाऊँगी।
ओर सच पूछो तो अपने बाबुल को
याद बहुत में आऊंगी।
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