Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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जिसकी जैसी नियत
कुछ तो दूरी हमने भी बढ़ाई होगी
मेरी नज़रों से गुज़र कर दिल-ओ-जां तक आओ
जिंदगी शायरी
सूखी सी अधखिली कली है
इस शहर में दिल को लगाना क्या
पहले दोस्त ढूँढ लूँ
कोई उम्मीद नहीं करते।
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
आती तो है हर घड़ी हमकों उनकी याद
इश्क ज़ज्बात शायरी
धूप शायरी
दुनिया मुट्ठी में भरो तो जिन्दगी है.
अधूरे सपने सच बनाने को
पत्तों की तरह टूटकर शाखों से हम बिखर नहीं सकते
मेरी ख़ामोशी को नाराज़गी कहते हैं
हवा शायरी
वाणी तू लाजवाब है
मुझको बेगैरत करके तुम भी
कभी जब तेरी याद आ जाये है
ऐसा कुछ करके दिखलाना
हसरतें हैं जिदंगी की ,आसमानों सा हो जाना
इंसान हूँ इसलिए भगवान से लड़ जाता हूँ
संसार पूजता जिन्हें तिलक
कौन जाने कब अमन से भरी सहर होगी।
करूं इस सितम का मैं क्या बयां
अपने ही मन से कुछ बोलें - अटल बिहारी वाजपेयी
अन-गिनत चाहतों के झकोलों की ज़द में
प्रिय मिलने का वचन भरो तो !
हिफाजत शायरी
सफर कहां रुकता है
तुम्हारे नील झील-से नैन
मेरा मन न जाने क्यों
तुम्हारे नील झील-से नैन
तिरी ख़ुशी से अगर ग़म में भी ख़ुशी न हुई
छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार
मैं क्या करूँ के तुझे देखने की आदत है
कुछ खुशी दे देना
मुहब्बतों को नफरतों मे बदल दिया तुमने
हमें अदाएँ दिवाली की ज़ोर भाती हैं ।
मीराबाई की पदावली
हो रही है साँझ बेला
पक्षी, चिड़िया शायरी
जामुन की इक शाख़ पे बैठी इक चिड़िया
हार जीत शायरी
मैं रात पुरानी लाता हूँ तुम बात पुरानी लाओ ना
दहलीज़ पर आ रूकी है हवा-ए-मोहब्बत
कैसे तुमको जाने दूं मैं
उनकी याद हमें आती है - गोपालदास "नीरज"
तुम आज भी पास नहीं
सोंधी मिट्टी मुझे बूलाती हैं
उनकी याद तिर रही है
प्रेम की परिभाषा - रसखान
मधुर वाणी
तुमसे जब कोई जुदा हो जायेगा
मैं शुक्रगुजार हूँ
तेरा आना और आते ही
मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है
कितना दुश्वार है ख़ुद को कोई चेहरा देना
आँखों को देखने का सलीक़ा जब आ गया
एक मां के ना होने से घर कितना सूना लगता है।
लिख दूँ लेकिन क्या लिख दूँ
देखा मैंने एक सुन्दर सा ख्वाब,
सफर का हौसला था.
कोई न कोई रास्ता निकलता है
सब बेगाने निकले
तेरा एहसास गर नहीं होता।
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Sunday, November 1, 2020
कोई न कोई रास्ता निकलता है
हर रहगुज़र से मेरे पावों का कोई न कोई वास्ता निकलता है
मैं किसी जानिब कदम रखूं उसी जानिब कोई न कोई रास्ता निकलता है
हयात के सफ़र में ऐसी कोई मुश्किल नहीं जिसका कोई हल नहीं
कोशिश करने से हर मुसीबत का कोई न कोई रास्ता निकलता है
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