मुहब्बतों को नफरतों मे बदल दिया तुमने
फिर इंसानियत का चेहरा कुचल दिया तुमने
हिंदू को मुसलमान से जब जब लड़ाना चाहा
होशियारी से दांव धर्म का चल दिया तुमने
जब भी आईना बन जाने को हुआ ये दिल
हर बार कोई रंग जफा का मल दिया तुमने
अब जो देने आए हो उसकी बात करो आज
हम भुला चुके हैं उसको जो कल दिया तुमने
हमने क्या पूछा था मुहब्बत मे तुमसे और
सवाल का हमारे ये क्या हल दिया तुमने
Monday, November 16, 2020
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment