लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
- मुसव्विर सब्ज़वारी
जाती है धूप उजले परों को समेट के
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के
- शकेब जलाली
तेज़ धूप में आई ऐसी लहर सर्दी की
मोम का हर इक पुतला बच गया पिघलने से
- क़तील शिफ़ाई
तुम तो सर्दी की हसीं धूप का चेहरा हो जिसे
देखते रहते हैं दीवार से जाते हुए हम
- नोमान शौक़
लगी रहती है अश्कों की झड़ी गर्मी हो सर्दी हो
नहीं रुकती कभी बरसात जब से तुम नहीं आए
- अनवर शऊर
अब की सर्दी में कहाँ है वो अलाव सीना
अब की सर्दी में मुझे ख़ुद को जलाना होगा
- नईम सरमद
तेज़ धूप में आई ऐसी लहर सर्दी की
मोम का हर इक पुतला बच गया पिघलने से
- क़तील शिफ़ाई
तुझे हम दोपहर की धूप में देखेंगे ऐ ग़ुंचे
अभी शबनम के रोने पर हँसी मालूम होती है
- शफ़ीक़ जौनपुरी
इस बार इंतिज़ाम तो सर्दी का हो गया
क्या हाल पेड़ कटते ही बस्ती का हो गया
- नोमान शौक़
हर तरफ़ धूप की चादर को बिछाने वाला
काम पर निकला है दुनिया को जगाने वाला
- साजिद प्रेमी
आँखों में चुभ रही है गुज़रती रुतों की धूप
जल्वा दिखाए अब तो नए मौसमों की धूप
- नासिर ज़ैदी
इक पटरी पर सर्दी में अपनी तक़दीर को रोए
दूजा ज़ुल्फ़ों की छाँव में सुख की सेज पे सोए
- हबीब जालिब
धूप हालात की हो तेज़ तो और क्या माँगो
किसी दामन की हवा ज़ुल्फ़ का साया माँगो
- आसी रामनगरी
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