मेरे घर इक पेड़ था और एक घर था पेड़ पर
- सज्जाद बलूच
खोल के खिड़की चाँद हँसा फिर चाँद ने दोनों हाथों से
रंग उड़ाए फूल खिलाए चिड़ियों को आज़ाद किया
- निदा फ़ाज़ली
शायद अब मौसम के पंछी आएँ तो चहकार उड़े
चिड़ियों के घर जब से उजड़े पेड़ों पर सन्नाटा है
- मरग़ूब अली
कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है
चिड़ियों को बड़ा प्यार था उस बूढ़े शजर से
- परवीन शाकिर
अस्बाब यही है यही सामान हमारा
चिड़ियों से महकता रहे दालान हमारा
- इक़बाल पयाम
अब तो चुप-चाप शाम आती है
पहले चिड़ियों के शोर होते थे
- मोहम्मद अल्वी
उड़ जाता था रूप बदल कर चिड़ियों के
जंगल सहरा दरिया देखा करता था
- आलम ख़ुर्शीद
शायद किसी बला का था साया दरख़्त पर
चिड़ियों ने रात शोर मचाया दरख़्त पर
- अब्बास ताबिश
सूखी टहनी तन्हा चिड़िया फीका चाँद
आँखों के सहरा में एक नमी का चाँद
- जावेद अख़्तर
वो जाता रहा और मैं कुछ बोल न पाया
चिड़ियों ने मगर शोर सा दीवार पे खींचा
- अहमद फ़क़ीह
मैं इसी शहर में आँसू लिए फिरता हूँ जहाँ
पेड़ चिड़ियों की मुनाजात पे शक करते हैं
- जब्बार वासिफ़
चिड़ियों सी चहचहाएँ पनघट पे जब भी सखियाँ
चुप-चाप रो दिया है कोरे घड़े का पानी
- असलम कोलसरी
गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने बच्चों को गुड़-धानी दे मौला
- निदा फ़ाज़ली
'जान' फिर कर के किसी रोज़ ये उड़ जाएँगी
बेटियाँ बाप के आँगन में हैं चिड़ियों की तरह
- जान काश्मीरी
मैं चिड़ियों को उलझते देख कर लड़ता समझता हूँ
मगर सच्चाई क्या है ये उन्हीं से पूछना होगा
- फ़ज़्ल ताबिश
शायद अब तक मुझ में कोई घोंसला आबाद है
घर में ये चिड़ियों की चहकारें कहाँ से आ गईं
- ज़फ़र गोरखपुरी
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