वरना ये जुदाई ना होती।
कुछ तो कमी हमारी वफ़ा में भी रही होगी,
वरना इतनी बेवफाई ना होती।
हमने भी ज़रूर अपने किस्से सुनाए होंगे लोगों से,
वरना इतनी रुसवाई ना होती।
कैसे कह दूँ कि सारी खता मेरी है,
कुछ बात तो उसने भी बढ़ाई होगी।
दर्द तो हुआ मुझे बहुत पर,
दूर होकर मुझसे वो भी तो कुछ रोई होगी।
क्या हुआ जो उसे मेरा साथ पसंद नहीं?
ये रिश्ते हैं प्यार के जबरदस्ती के नहीं,
कोई और ऊपर वाले ने मेरे लिये भी बनाई होगी.
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