Wednesday, November 11, 2020

हार जीत शायरी

इसी होनी को तो क़िस्मत का लिखा कहते हैं
जीतने का जहाँ मौक़ा था वहीं मात हुई
- मंज़र भोपाली

हार को जीत के इम्कान से बाँधे हुए रख
अपनी मुश्किल किसी आसान से बाँधे हुए रख
- अज़लान शाह

जीत की और न हार की ज़िद है
दिल को शायद क़रार की ज़िद है
- अलीना इतरत

मिलों के शहर में घटता हुआ दिन सोचता होगा
धुएँ को जीतने वालों का सूरज दूसरा होगा
- फ़ज़्ल ताबिश

मैं तो बाज़ी हार कर बे-फ़िक्र हो कर चल दिया
जीतने वालों को चसका लग गया अच्छा नहीं
- वफ़ा सिद्दीक़ी

सब जीतने की ज़िद पे यहाँ हारने लगे
सदियों से कोई शख़्स सिकंदर नहीं हुआ
- वफ़ा नक़वी

उलझनें इतनी थीं मंज़र और पस-मंज़र के बीच
रह गई सारी मसाफ़त मील के पत्थर के बीच
- हुसैन ताज रिज़वी

वो इस कमाल से खेला था इश्क़ की बाज़ी
मैं अपनी फ़तह समझता था मात होने तक
- ताजदार आदिल

हाथ आई हुई बाज़ी पे बहुत नाज़ न कर
जीतने वाले तुझे मात भी हो सकती है
- मासूम अंसारी

सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़
सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए
- राहत इंदौरी

जीतने का न कोई शौक़ न तौफ़ीक़ हमें
लेकिन इस तरह तो हारे भी नहीं जा सकते
- फ़रहत एहसास

मैं क़त्ल हो के ज़माने में सरफ़राज़ रहा
कि मेरी जीत का पहलू भी मेरी हार में था
- गुहर खैराबादी

हमेशा ये ही तो होता रहा है मेरे अज़ीज़
किसी की जीत तो कोई किसी से हार गया
- नज़ीर मेरठी

जुगनुओं ने फिर अँधेरों से लड़ाई जीत ली
चाँद सूरज घर के रौशन-दान में रक्खे रहे
- राहत इंदौरी

मैदाँ में हार जीत का यूँ फ़ैसला हुआ
दुनिया थी उन के साथ हमारा ख़ुदा हुआ
- जमील मलिक

जीत और हार का इम्कान कहाँ देखते हैं 
गाँव के लोग हैं नुक़सान कहाँ देखते हैं 
-राना आमिर लियाक़त

हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया 
इन छोटी छोटी बातों का हम कोई ख़याल नहीं करते 
-वाली आसी

उल्फ़त में हार जीत का लगता नहीं पता
वो शर्त जो लगी भी नहीं थी लगी रही
- सौलत ज़ैदी

No comments: