Saturday, July 11, 2020

हो न जाए कहीं अंजाम से पहले अंजाम

जिसे अंजाम तुम समझती हो
इब्तिदा है किसी कहानी की
- सरवत हुसैन


हो न जाए कहीं अंजाम से पहले अंजाम
इस कहानी को इसी तौर से चलने देंगे
- अम्बरीन सलाहुद्दीन


मेरे जिस्म के अंदर ही
शायद मेरा क़ातिल था
- शाहिद अज़ीज़

तेरी सूरत तो कहती है क़ातिल
ख़ुद तिरा इम्तिहान है गोया
- जलील मानिकपूरी

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