बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
- बशीर बद्र
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
- नासिर काज़मी
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
- नासिर काज़मी
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे
- क़ैसर-उल जाफ़री
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
- बशीर बद्र
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
- दाग़ देहलवी
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूं मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हंसी अपनी जगह
- अनवर शऊर
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस सेट
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
- फ़रहत एहसास
No comments:
Post a Comment