Tuesday, July 14, 2020

जिंदगी की असलियत शायरी

जैसा दर्द हो वैसा मंज़र होता है,
मौसम तो इंसान के अंदर होता है। 
-अज़ीज़ ऐजाज़ 

अज़ल तो मुफ़्त में बदनाम है ज़माने में,
कुछ उनसे पूछ, जिन्हें ज़िंदगी ने मारा है। 
- फ़ैज़ 

तिरे चराग़ अलग हों, मिरे चराग़ अलग,
मगर उजाला तो फिर भी जुदा नहीं होता। 
- वसीम बरेलवी 

हर चीज़ का खोना भी बड़ी दौलत है,
बेफिक्री से सोना भी बड़ी दौलत है। 
- अमजद हैदराबादी 

मिट्टी का जिस्म ले के चले हो तो सोच लो,
इस रास्ते में एक समंदर भी आएगा। 
- सलीम शाहिद 

ऐसी तारीकियां आंखों में बसी हैं कि 'फ़राज़'
रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़। 
-अहमद फ़राज़

लम्हों के अज़ाब सह रहा हूं
मैं अपने वजूद की सज़ा हूं। 
- अतहर नफ़ीस  

कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
कभी महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र करने से डरता हूं।
- फ़रीद परबती 

मेरी मुट्ठी में सुलगती रेत रख कर चल दिया,
कितनी आवाज़ें दिया करता था ये दरिया मुझे। 
- अज्ञात 

उसकी फ़ितरत में नहीं, रुक के कोई बात सुने,
वक्त आवाज़ है, आवाज़ को आवाज़ न दो। 
- अज्ञात 

इससे बढ़कर दोस्त कोई दूसरा होता नहीं,
सब जुदा हो जाएं, लेकिन ग़म जुदा होता नहीं। 
- जिगर मुरादाबादी

No comments: