मौसम तो इंसान के अंदर होता है।
-अज़ीज़ ऐजाज़
अज़ल तो मुफ़्त में बदनाम है ज़माने में,
कुछ उनसे पूछ, जिन्हें ज़िंदगी ने मारा है।
- फ़ैज़
तिरे चराग़ अलग हों, मिरे चराग़ अलग,
मगर उजाला तो फिर भी जुदा नहीं होता।
- वसीम बरेलवी
हर चीज़ का खोना भी बड़ी दौलत है,
बेफिक्री से सोना भी बड़ी दौलत है।
- अमजद हैदराबादी
मिट्टी का जिस्म ले के चले हो तो सोच लो,
इस रास्ते में एक समंदर भी आएगा।
- सलीम शाहिद
ऐसी तारीकियां आंखों में बसी हैं कि 'फ़राज़'
रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़।
-अहमद फ़राज़
लम्हों के अज़ाब सह रहा हूं
मैं अपने वजूद की सज़ा हूं।
- अतहर नफ़ीस
कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
कभी महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र करने से डरता हूं।
- फ़रीद परबती
मेरी मुट्ठी में सुलगती रेत रख कर चल दिया,
कितनी आवाज़ें दिया करता था ये दरिया मुझे।
- अज्ञात
उसकी फ़ितरत में नहीं, रुक के कोई बात सुने,
वक्त आवाज़ है, आवाज़ को आवाज़ न दो।
- अज्ञात
इससे बढ़कर दोस्त कोई दूसरा होता नहीं,
सब जुदा हो जाएं, लेकिन ग़म जुदा होता नहीं।
- जिगर मुरादाबादी
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