Friday, July 3, 2020

ठोकर शायरी

देख ठोकर बने न तारीकी
कोई सोया है पांव फैला कर
- आदिल मंसूरी


मिलती है पैरों को ताक़त
खा कर देख कभी तू ठोकर
- मुईन शादाब



समझाया था देख के चलिए
कैसी खाई ठोकर कहिए
- शाद आरफ़ी


एक ठोकर पे सफ़र ख़त्म हुआ
एक सौदा था कि सर से निकला
- राजेन्द्र मनचंदा बानी


नाकामियों से कम न हुआ हौसला मिरा
ठोकर लगी तो और संभलता चला गया
- रहमत इलाही बर्क़ आज़मी


किया करती है सज्दे मुझ को ठोकर
मुक़द्दस है मिरी आवारगी भी
- सुलेमान ख़ुमार

उस ने दरिया को लगा कर ठोकर
प्यास की उम्र बढ़ाई होगी
- अंजुम लुधियानवी


मार देती है ज़िंदगी ठोकर
ज़ेहन जब उल्टे पांव चलता है
- बलवान सिंह आज़र

ठोकर किसी पत्थर से अगर खाई है मैं ने
मंज़िल का निशां भी उसी पत्थर से मिला है
- बिस्मिल सईदी


इस अंधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही
- निदा फ़ाज़ली

No comments: