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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आए
पत्थर शायरी
धूप को देता हूँ तन अपना झुलसने के लिए
अली सरदार जाफरी शायरी
जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा
ये लम्हा ख़ास मेरा, ओढ़ूं या बिछाऊं
दुष्यंत कुमार शायरी
रहो हमेशा सच्चाई के तुम संग
जिन बातों को कहना मुश्किल होता है
दीपक शर्मा 'deep' की शायरी
अंगूर के सब मजे किशमिश में आ गए
समझौता कोई ख़्वाब के बदले नहीं होगा
लकीर शायरी
अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को
मैं चाँद को अपने आँगन में उतरने नहीं देता!!
बारिश शायरी
मीर हसन की गजलें
अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं
या तो सब कुछ ही चाहिए या कुछ भी नहीं
ख़्वाबों का हर एक दरीचा तेरे नाम
यहां हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
वज़ीर अली 'सबा' लखनवी की गजलें
उतना सफ़र आसान रहेगा
ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम
रिश्ते शायरी
एक तुझे नहीं आता, एक मुझे नहीं आता!
वक़्त क्या कहता है
लोग है , समय है , हालात है , बदल जाएंगे ।
फिर भी ख़ुदा से शिकवा नहीं है कोई।
परिंदा शायरी
आँगन शायरी
सितारो तुम तो सो जाओ
सोचा नहीं था कभी.. ..इतनी सुकून भरी होगी ।
सितारो तुम तो सो जाओ
रूमानी शायरी
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके
हाल में रहा जो तिरा आसरा मुझे
मग़र यार मेरे तूँ कहाँ दिखाई देता है
उधेड़बुन शायरी
तो ले चलूँ तुम्हें
उठे मेरी पलकें कत्ले आम न हो जाए
जिंदगी की असलियत शायरी
सियासत, सियासी शायरी
मेरा होना भी जरूरी है....
कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
आंसुओं की इस क़दर क़ीमत बढ़ा दी जाएगी
तमाशा शायरी
हो न जाए कहीं अंजाम से पहले अंजाम
हैरानी शायरी
जुर्म शायरी
ज़रा सी बात पे दिल से बिगाड़ आया हूं
मै फूल हूँ तो फिर तेरे बालो में क्यों नही
सुलगती थी तमन्ना आँखों में
ठहरे हुए पानी की अदा तुम भी तो देखो
कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा न लगे...
बारिश - गुलजार शायरी
आँखों को शराब कर के तो देखो
रूबरू उनसे मेरी मुलाकात हो गई ।
ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है
बस कुछ बातें प्यार की...!!
गुलज़ार के शायराना गुलपोश से चुनिंदा फूल
कलम, आज उनकी जय बोल।
शकील बदायुनी की नज़्म: ज़लज़ला
दिल बस अब ज़ख़्म नया चाहता है
चाहना, चाहत शायरी
अब तो ये भी नहीं रहा एहसास
कुछ नहीं कोई बददुआ भेजो
ठोकर शायरी
परवीन शाकिर की 3 चुनिंदा ग़ज़लें
कोई पेड़ यूँ ही बड़ा नहीं होता!
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Saturday, July 25, 2020
अंगूर के सब मजे किशमिश में आ गए
क्या खूब रंग लाया माशूक का बुढ़ापा
अंगूर के सब मजे किशमिश में आ गए ❤️
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