आज दिल बे-क़रार है क्या है
दर्द है इंतिज़ार है क्या है
जिस से जलता है दिल जिगर वो आह
शोला है या शरार है क्या है
ये जो खटके है दिल में काँटा सा
मिज़ा है नोक-ए-ख़ार है क्या है
चश्म-ए-बद-दूर तेरी आँखों में
नश्शा है या ख़ुमार है क्या है
मेरे ही नाम से ख़ुदा जाने
नंग है उस को आर है क्या है
जिस ने मारा है दाम दिल पे मिरे
ख़त है या ज़ुल्फ़-ए-यार है क्या है
क्यूँ गरेबान तेरा आज 'हसन'
इस तरह तार-तार है क्या है
दिलबर से हम अपने जब मिलेंगे ...
दिलबर से हम अपने जब मिलेंगे
इस गुम-शुदा दिल से तब मिलेंगे
ये किस को ख़बर है अब के बिछड़े
क्या जानिए उस से कब मिलेंगे
जान-ओ-दिल-ओ-होश-ओ-सब्र-ओ-ताक़त
इक मिलने से उस के सब मिलेंगे
दुनिया है सँभल के दिल लगाना
याँ लोग अजब अजब मिलेंगे
ज़ाहिर में तो ढब नहीं है कोई
हम यार से किस सबब मिलेंगे
होगा कभी वो भी दौर जो हम
दिलदार से रोज़-ओ-शब मिलेंगे
आराम 'हसन' तभी तो होगा
उस लब से जब अपने लब मिलेंगे .
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