जो हमारी ज़बान से निकला
- दाग़ देहलवी
फैलती जा रही है सुर्ख़ लकीर
जैसे कोई लहू में तर है यहां
- अख़्तर होशियारपुरी
कौन देखेगा हाथ पर क़िस्मत
बस लकीरों का जाल लगता है
- दिलशाद नसीम
पीटते रहना लकीरें है अबस
ग़ौर करना चाहिए अस्बाब पर
- रूमाना रूमी
लकीरों को रौशन सितारे दिए
सितारों को अपना मुक़द्दर किया
- ख़ालिद महमूद
बन के लकीरें उभरे हैं
माथे पर राहों के बल
- बाक़ी सिद्दीक़ी
था समुंदर मिरे सामने
मैं लकीरें बनाता रहा
- मेहदी जाफ़र
सूरज को हथेली पे लकीरों की तमन्ना
अब चांद की थाली में किरन है न दिया है
- शमीम हनफ़ी
लकीर खींच के बैठी है तिश्नगी मिरी
बस एक ज़िद है कि दरिया यहीं पे आएगा
- आलम ख़ुर्शीद
कोई दिमाग़ से कोई शरीर से हारा
मैं अपने हाथ की अंधी लकीर से हारा
- ओबैदुर रहमान
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