वो रत-जगों की हवेली बड़े अज़ाब में है
- फ़ारूक़ इंजीनियर
कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन था
खेल में भी तो आधा आधा आंगन था
- शारिक़ कैफ़ी
उस के आंगन में रौशनी थी मगर
घर के अंदर बड़ा अंधेरा था
- क़ैशर शमीम
रोज़ उठ जाती है घर में कोई दीवार नई
इस तरह तंग हुआ जाता है आंगन अपना
- अनवर जमाल अनवर
पंख हिला कर शाम गई है इस आंगन से
अब उतरेगी रात अनोखी यादों वाली
- अनवर सदीद
फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको
मेरे घर के आंगन पर आसमान रहने दो
- अज़रा नक़वी
नींद टूटी है तो एहसास-ए-ज़ियां भी जागा
धूप दीवार से आंगन में उतर आई है
- सरशार सिद्दीक़ी
तू किसी सुब्ह सी आंगन में उतर आती है
मैं किसी धूप सा दालान में आ जाता हूं
- ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क
आंगन-आंगन जारी धूप
मेरे घर भी आरी धूप
- ज़फ़र ताबिश
इक ढलता सूरज बस्ती का
इक सूना आंगन हस्ती का
- मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी
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